Department of Hindi
Permanent URI for this collection
Browse
Browsing Department of Hindi by Subject "Contemporary"
Now showing 1 - 1 of 1
Results Per Page
Sort Options
Item Narendra Kohli Rachit Todo Kara Todo Jiwan Darshan Aur Uski Samkalin PrasangiktaGangopadhyay, Anindyaशोध-प्रबंध का सार जीवनीपरक उपन्यास साहित्य की एक विधा है। यह शोध हिंदी के उपन्यासकार नरेंद्र कोहली के द्वारा स्वामी विवेकानंद के जीवन पर छः खंडों में लिखित तोड़ो कारा तोड़ो नामक जीवनीपरक उपन्यास पर किया गया है। शोध का शीर्षक है “नरेंद्र कोहली रचित तोड़ो कारा तोड़ो : जीवन दर्शन और उसकी समकालीन प्रासंगिकता”। इस शोध-प्रबंध में हिंदी जीवनीपरक उपन्यास की परम्परा के विषय में चर्चा की गई है। जीवनीपरक उपन्यासों के क्रम को रचनाकारों के जन्म के आधार पर रखा गया है। उपन्यास के स्वरूप को ऐतिहासिक और आध्यात्मिक दो रूपों में बाँटा गया है। जब कोई जीवनीपरक उपन्यास किसी आध्यात्मिक व्यक्ति के जीवन को आधार बनाकर लिखा जाता है तब उसे आध्यात्मिक जीवनीपरक उपन्यास कहा जाता है। जैसे डॉक्टर कृष्णबिहारी मिश्र का ठाकुर श्री रामकृष्ण के जीवन पर आधारित ‘कल्पतरु की उत्सव लीला’ एक आध्यात्मिक जीवनीपरक उपन्यास है। वैसे ही जब किसी ऐतिहासिक पात्र के जीवन को आधार बनाकर कोई उपन्यास लिखा जाता है तब उसे ऐतिहासिक जीवनीपरक उपन्यास कहा जाता है। जैसे गिरिराज किशोर द्वारा लिखित गाँधीजी के जीवन पर आधारित ‘पहला गिरमिटिया’। आध्यात्मिक पुरुष जिस प्रकार से ईश्वर के स्वरूप का चिंतन करता है उपन्यासों में ईश्वर का वही स्वरूप उभरकर आता है। अतः एक ओर जहाँ ‘कल्पतरु की उत्सव लीला’ उपन्यास में ईश्वर का रूप माँ का है क्योंकि उपन्यास के पात्र ने माँ के रूप में ईश्वर का साक्षात्कार किया था जबकि ‘खंजन नयन’ में ईश्वर सखा के रूप हैं। नरेंद्र कोहली के उपन्यासों का परिचय देते हुए यह बताया गया है कि कोहलीजी के उपन्यासों को दो वर्गों में बाँटा जा सकता है पौराणिक और आध्यात्मिक प्रसंग तथा विविध प्रसंग। पौराणिक और आध्यात्मिक प्रसंग के अंतर्गत लेखक के उन उपन्यासों के विषय में चर्चा की गई है जिन्हें उन्होंने रामायण, महाभारत आदि ग्रंथों को आधार बनाकर लिखा है। इसके अंतर्गत बड़े और छोटे दोनों को मिलाकर 19 उपन्यासों का मूल्यांकन किया गया है तथा विविध प्रसंग के अंतर्गत उन उपन्यासों का मूल्यांकन किया गया है जिन्हें उन्होंने विविध आधुनिक विषयों को आधार बनाकर लिखा है। इसके अंतर्गत पाँच उपन्यासों के विषय में चर्चा की गई है। भारतीय अध्यात्म दर्शन परम्परा का परिचय देते हुए भारतीय अध्यात्म दर्शन की अवधारणा एवं स्वरूप के अंतर्गत विविध भारतीय दर्शन जैसे बौद्ध दर्शन, जैन-दर्शन आदि का मूल्यांकन किया गया है। लेखक नरेंद्र कोहली के दार्शनिक विचार को स्पष्ट किया गया है। भारतीय दर्शन परम्परा में विवेकानंद का चिंतन अद्वैतवाद है। तोड़ो कारा उपन्यास में निहित स्वामी विवेकानंद की आध्यात्मिकता एवं साधनात्मकता पर विचार किया गया है। इसके समकालीन परिप्रेक्ष्य में यह बताया गया है कि आज के ज़माने में लोग बहुत दिखावा करते हैं कि वे बड़े भक्त हैं, साधु हैं परंतु वास्तविकता कुछ और ही है। इसमें यह बताया गया है कि अंग्रेज़ों के ज़माने में भारत के लोग अंग्रेज़ी के कितने अधिक दीवाने थे। आज भी यही स्थिति बनी हुई है। स्वामी विवेकानंद के व्यक्तित्वंतरण पर चर्चा करते हुए यह बताया गया है कि स्वामी विवेकानंद के विविध व्यक्तित्व का विकास किस प्रकार हुआ। जीवन दर्शन,समाज और संस्कृति के अंतर्गत बताया गया है कि भारतीय चिंतन में दर्शन केवल ज्ञान के प्रति अनुराग ही नहीं है बल्कि मानव जीवन को समग्रता से देखना भी है। जीवनीपरक उपन्यासों में कई प्रकार की शैलियों का प्रयोग किया जाता है जैसे वर्णात्मक शैली, संवादतमक शैली आदि। तोड़ो कारा तोड़ो उपन्यास के मूल भाव के विषय में चर्चा करते हुए उसके शिल्प पर भी प्रकाश डाला गया है। अंत में तोड़ो कारा तोड़ो उपन्यास की समकालीन प्रासंगिकता का व्यक्ति निर्माण, समाज निर्माण एवं राष्ट्र निर्माण के परिप्रेक्ष्य में मूल्यांकन किया गया है तथा इनके पूर्व एवं वर्तमान परिप्रेक्ष्य पर भी प्रकाश डाला गया है। शोध करते हुए जो नई उपलब्धियाँ उभरकर आईं उनका भी उल्लेख किया गया है।