Bhakti aur Riti Kavya Dharaon Ka Samvad aur Dadupanthi Sundardas ki Kavita
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यहशोधप्रबंधहिंदीसाहित्यकेइतिहासग्रंथोंमेंएकदूसरेकीकमोवेशविपरीतसमझीगईकाव्यधाराओं,भक्तिऔररीति, मेंपरस्परसंवाददर्शाताहै।मुगलसाम्राज्यकेअधीनराजपूतदरबारोंनेनकेवलरीतिकवियोंकोसंरक्षणदियाबल्किभक्तिकेप्रधानकेन्द्रोंजैसेवृन्दावन, गलता, नाथद्वाराआदिकोभीसहयोगदियाऔरऐसाराजनीतिकपरिवेशनिर्मितकियाजिसमेंभक्तिकेसाथ-साथरीति, नीतिऔरवीरतापरआधारितसाहित्यलिखागया।दादकेशिष्यसुन्दरदास (1596-1689) केव्यक्तित्वऔररचनाक्रमकासमग्रतामेंअध्ययनकरतेहुएयहशोधप्रबंधदिखाताहैकिसतकविभीधर्मशास्त्रजैसेअद्वैतवेदांत, सांख्यऔरयोगतथाकाव्यशास्त्रकेविषयोंजैसेछंद, अलंकारआदिपरसंतोंकीसंवेदनाकेअनुकूलकाव्यलिखतेथेऔरसमकालीनराजनीतिकपरिवेशकेप्रतिभीसचेतथे।सुन्दरदासनेरीतिकवियोंद्वारास्थापितप्रतिमानोंजैसेकाव्यकीआत्माक्याहै? काव्यलक्षणक्याहैं? औरकाव्यकिनविषयोंपरलिखाजानाचाहिये? आदिपरविमर्शकियाऔरभक्तिकाव्यकेलिएनयेप्रतिमानभीस्थापितकिये।सुन्दरदाससंस्कृततकसीमितशास्त्रीयज्ञानकोअपनीसरलसहजब्रजकविताद्वाराआमजनकेलिएसुलभबनातेहैं।सुन्दरदासनेकवि-शिक्षाकेलिएरीतिग्रंथोंकीशैलीपरअपनाज्ञानसमुद्रग्रन्थलिखाजिसेविद्वानोंने'ज्ञानधाराकारीतिग्रन्थ' कहाहै।सुन्दरदासकेदोग्रन्थ 'ज्ञानसमुद्र' और 'सुन्दरविलासगुजरातके. भुजशहरमें 1749 ई०मेंस्थापितब्रजभाषापाठशाला' मेंपढ़ायेजातेथे।इसपाठशालामेंअनेकप्रसिद्धकविऔरसंतनिर्मितहुए।सुन्दरदासकेकाव्यकीपांडुलिपियोंयहदिखातीहैंकिसंतसमुदायकेअलावादरबारीवर्गभीसुंदरदासकीकवितामेंगहरीदिलचस्पीलेताथा।येतथ्यसुन्दरदासकेकाव्यकीविस्तृतस्वीकृतिकोदिखातेहैंऔरउन्हेंसंतपरंपरामेंअलगस्थानदिलवातेहैं।सुन्दरदासएकतरहसेसंतोंकीसंवेदनाऔररीतिकवियोंकेसरोकारोंकाएकसाथनिर्वहनकरतेहैं,जिनकाअध्ययनकरकेहीसुन्दरदासकेकाव्य, उनकेयुगतथातत्कालीनसाहित्यिकपरिवेशकोबेहतरढंगसेसमझाजासकताहै।
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Arts and Humanities, Literature