Department of Hindi
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Browsing Department of Hindi by Author "Pandey, Ved Raman"
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Item Hindi Katha Sahitya Mein Lgbtq Jan: Vividh AayaamPandey, Ved Ramanशोध-सार नब्बे के दशक के बाद हाशिए के विमर्शों की चर्चा जोर-शोर से होने लगी। इसमें दलित-विमर्श, आदिवासी-विमर्श, पर्यावरण विमर्श के साथ ही एलजीबीटीक्यू (LGBTQ) या क्वीयर विमर्श/सिद्धांत भी हमारा ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है। क्वीयर सिद्धांत उत्तर-संरचनावादी सिद्धांत का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है जिसका उद्भव 1990 के दशक में क्वीयर अध्ययन तथा स्त्री अध्ययन के क्षेत्र में होता है। ‘समलैंगिक’ शब्द का उद्भव 19वीं शताब्दी में यूरोप में तब हुआ जब इस पर व्यापकता से विचार-विमर्श किया जाने लगा। इस बात के प्रमाण बड़ी संख्या में मिलते हैं कि समाज में स्त्री-पुरुष के बीच प्रजननमूलक यौन-क्रिया के अलावा विभिन्न प्रकार के यौन- संबंध हमेशा से ही बनते रहे हैं। होमोफोबिया (समलैंगिकता के प्रति घृणा) पश्चिमी देन है, जो न सिर्फ भारत में अपितु विकासशील तीसरी दुनिया में उपनिवेशवाद के माध्यम से प्रसारित हुई। होमोफोबिया औपनिवेशिक शासन की विरासत थी। जिसका प्रभाव स्वतंत्रता के पश्चात भी जीवित रहा और आज भी बहुत हद तक व्याप्त है। हालांकि विषमलैंगिक पुरुष वर्चस्व वाली सामाजिक संरचना के बावजूद समलैंगिक विमर्श की चर्चा दबे जुबानों में होती रही जिसका व्यापक स्वरूप बाद में क्वीयर विमर्श के रूप में उभरकर सामने आया। कहानियों, उपन्यासों में कहीं यौन छेड़छाड़ के साथ तो कही रोमांटिक मित्रता के रूप में क्वीयर संबंधों पर लिखा जाता रहा। यौनिकता पर चर्चा करना हमारे समाज में आसान नहीं रहा हैं, यही कारण है कि क्वीयर संबंधों पर केंद्रित फिल्में जब भी बनीं वह या तो अधिकांशतः अनुमान पर आधारित रही है या आधे-अधूरे ज्ञान में सिमटती नजर आती है। कुछ फिल्में ऐसी भी रही है जिन्होंने क्वीयर संबंधों व उनकी जटिलताओं के बारे में समझ बनाने के साथ ही समाज की भ्रमित धारणाओं को तोड़ने का भी प्रयास किया है।Item Hindi ke aarambhik upanyason ka aalochnatmak adhyayanPandey, Ved Ramanहिंदीकेआरंभिकउपन्यासोंकाआलोचनात्मकअध्ययन' शीर्षकइसशोधमेंउनबिंदुओंकोरेखांकितकियागयाहैजिससेमनुष्य, समाजऔरराष्ट्रनिर्मितहोताहै।इनबिंदुओंकोतथ्यात्मकरूपदेनेकेलिएऔपन्यासिकटिप्पणी,दार्शनिक,समाजशास्त्रीयएवंआलोचकोंकेमतोंकोरखागयाहै। उपन्यासएकविधागतरूपहै।इसविधागतरूपमेंएकव्यक्तिकेस्थानपरएकनिर्मितहोतामनुष्यहै।यहमनुष्यहमारेप्राचीनआख्यानोंकेआदर्शरहेहैं।शोधमेंइसेचिन्हितकियागयाहैकिभलेहीविधागतनवीनताहोपरआदर्शखोनेनपाएहैं।इसशोधकीयहखासियतरहीहैकिइसआदर्शस्वरूपमनुष्यकोपूरेभारतीयऔपन्यासिकपरिप्रेक्ष्यमेंसमझागयाहै। औपन्यासिकआदर्शरूपकेसाथ-साथसृजनात्मकतौरपरस्वतंत्रताकोचिन्हितकियागयाहै।एकऔरहमारीभारतीयपरंपराकेरूपमेंकादंबरी, 'हर्षचरितदशकुमारचरित', 'बृहत्कथा', 'कथासरित्सागर, 'वासवदत्ता' थीतोदूसरीओरअंग्रेजीकेयथार्थवादीऔपन्यासिकपरंपराएंथीं।हिंदीकेआरंभिकउपन्यासलेखकोंनेइनसेकुछग्रहणकियाऔरकुछनएप्रयोगकिए।वहींकुछऐसेउपन्यासलेखकहुएजिन्होंनेठेठभारतीयढंगपरनएयथार्थगढ़े।इसविधागतनएप्रयोगकोआरंभिकउपन्यासोंसेशुरूकरवर्तमानसमयकेनएप्रयोगोंकेसाथजोड़करदेखागयाहै। भाषाएवंशिल्पकोउसकेजातीयस्वरूपसेजोड़नेवालेबिंदुओंकोभीरेखांकितकियागयाहै।उपन्यासपहलीबारभाषाएवंशिल्पकेमाध्यमसेराष्ट्रकोगढ़रहाथा।इसराष्ट्रीयअभिव्यंजनाकीएकताकीबातकीजाएतोयहांउर्दू, अवधी, ब्रज, भोजपुरी, संस्कृत, पंजाबीकोअभिव्यंजनामिलीहै।उपन्यासकेजरिएलेखकएकसांस्कृतिकविरासतगढ़रहेथेइसीलिएअंग्रेजीकोभीशामिलकियागयाहै।